लखनऊ: राम जन्मभूमि—बाबरी मस्जिद मामले के समाधान के लिये उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर जारी मध्यस्थता के बीच उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी की फिल्म 'राम की जन्मभूमि' 29 मार्च को रिलीज हो रही है.
चुनावी मौसम में रिलीज हो रही इस फिल्म को सेंसर बोर्ड से प्रमाणन मिल चुका है. यह फिल्म राम मंदिर आंदोलन और उससे जुड़ी घटनाओं पर आधारित है. इसके अलावा फिल्म में तीन तलाक और हलाला जैसे विषयों को भी शामिल किया गया है.
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की पुरजोर पैरोकारी कर चुके शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इस फिल्म की कहानी खुद लिखी है और इसका निर्माण भी किया है.
रिजवी ने शुक्रवार को 'भाषा' को बताया कि उनकी फिल्म 'राम की जन्मभूमि' को सेंसर बोर्ड ने मंजूरी दे दी है. यह 29 मार्च को सिनेमाघरों में प्रदर्शित की जाएगी.
उन्होंने कहा कि यह फिल्म राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले इस्लाम धर्म के ठेकेदारों पर करारा प्रहार करेगी. हम इस फिल्म में वह सब कुछ दिखा रहे हैं, जो एक सभ्य मुस्लिम समाज में नहीं होना चाहिये.
रिजवी ने दावा किया कि फिल्म का पहला पोस्टर और टीज़र जारी होने के बाद उन्हें कई धार्मिक संगठनों से कानूनी नोटिस के साथ ही अण्डरवर्ल्ड से फिल्म को प्रदर्शित नहीं करने की धमकियां मिल चुकी हैं. हालांकि तमाम विवादों के बाद सेंसर बोर्ड ने फिल्म को प्रमाणित कर दिया है.
इस फिल्म में राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी विभिन्न घटनाओं को शामिल किया गया है. फिल्म को अयोध्या के कई महत्वपूर्ण स्थलों पर भी फिल्माया गया है.
यह फिल्म ऐसे समय रिलीज हो रही है, जब उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर नियुक्त मध्यस्थता समिति अयोध्या विवाद के विभिन्न पक्षकारों के साथ बातचीत कर सुलह—समझौते से मामला हल करने की कोशिश कर रही है.
सनोज मिश्रा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में मनोज जोशी, गोविंद नामदेव, नाजनीज पाटनी और राजवीर सिंह मुख्य किरदारों में होंगे.